Saturday, July 20, 2019

Ek kavita doston ke naam

कहीं खो ग‌ए थे बचपन के साथी
पहाड़ों की गोद में अनोखी थी वो जिंदगी।
जिसमें अल्हड़पन भी था और सादगी भी।

छोटी छोटी खुशियो की यादें
अनोखे मैमोरी कार्ड में
चुपके से बटोर रही थी जिंदगी।

बचपन ना जाने ‌कब बीत गया
और बिखरे बचपन के साथी।
जुट गए मेहनत से अपनी
 तकदीर संवारने में।।

फिर आया इक नया मोड़ 
पीछे छूटे अपने , 
बंधी नई जिंदगी की अनजान डोर।
नई राह पर चल पड़े 
पहाड़ों को पीछे छोड़।।

अपनी अपनी दुनिया मे बसेरा बना के
अपने अपने अंदाज से परिवार को समेटे।
घिर गए जिन्दगी की बेशुमार उलझनों जमे

समय गुजर गया
बच्चों की परवरिश मे।
उम्र ढलती रही धीरे-धीरे
 जवां हुए बच्चे
उनकी  इक नई दुनिया बसी ।

समय ने ली फिर अंगडाई,
मेमोरी डिस्क उभर कर सामने आई
अचानक बचपन की घड़ी याद आई
बेचैन हो उठा मन उन पलों को उजागर करने को
पीछे छूट गए  यारों से मिलने को।
सुन ली हमारी दुआ ऊपर वाले ने।
पुराने यार मिले इक नए रूप मे।
ऐसा मिलन दिलों का हुआ
कि पहले से भी मजबूत हमारा बंधन हुआ।
अब ये आलम है कि
आँख खुले या दिन ढले
यारोँ के चेहरे नजर आते हैं
इंतजार रहता है
मिलने का बार बार
जैसे
ऊम्र भर की बाते करनी है
किस्से सुनाने है।

दिल से लिखी कविता  स्कूल के यारों के लिए
सुधा



https://sudhasmjn.blogspot.com

3 comments:

  1. Sudha you are Goddess.I bow my head wish u a long happy and healthy life. Girija kaul

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  2. Ma'am beautiful pics and poem wrapping unfolded memories.

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